प्लास्टिक पर रोक ( Plastic ban )


जानिए सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है और भारत में प्लास्टिक पर रोक /


 प्लास्टिक आज एक हर इंसान की जिंदगी का हिस्सा बन चुका है | अमूमन हर चीज के लिए आज प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है |चाहे वह सब्जी हो ,दूध हो, तेल हो, आटा ,चावल, दाल हो मसाले या जरूरत के दूसरे कोई चीज सभी में प्लास्टिक का इस्तेमाल हो रहा है बाजार से फल या सब्जी खरीदते हैं तो हमें भी प्लास्टिक की थैलियों में ही दिया जाता है | 

प्लास्टिक

यह ऐसी प्लास्टिक है जिसका इस्तेमाल हम एक बार करके फेंक देते हैं जिन्हें सिंगल यूज़ प्लास्टिक कहा जाता है इन प्लास्टिक के टुकड़ों को गलने में हजारों साल लग जाते हैं  | प्लास्टिक पर्यावरण से लेकर समुद्री जीव जंतुओं को गंभीर रूप से नुकसान पहुंचा रहे हैं  |

हजारों जीव जंतु इन प्लास्टिक के टुकड़ों को खाकर हर साल मर जाते हैं  | भारत की बात करें तो यहां इस्तेमाल होने वाले कुल प्लास्टिक में 40 फ़ीसदी हिस्सा सिंगल यूज प्लास्टिक का है  | इसे एक बार इस्तेमाल करके फेंक दिया जाता है  | सिंगल यूज प्लास्टिक से नुकसान को होते हुए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त को लाल किले की प्राचीर से इसे बंद करने की मुहिम शुरू की और अब सरकार 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू करने की तैयारी में है |

सरकार स्वच्छ भारत अभियान की तरह एक बार होने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल के खिलाफ बड़े स्तर पर काम शुरू करेंगे 2 अक्टूबर को सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए बड़ा एलान हो सकता है |

प्लास्टिक कचरे से निपटने के लिए केंद्र सरकार लगातार काम कर रही है | सरकार ने देश में कचरा प्रबंधन से जुड़े नियमों को पहले के मुकाबले करा कर दिया है  | ताकि प्लास्टिक की वजह से पर्यावरण को हो रहे नुकसान को कम से कम किया जा सके |

 सरकार सस्टेनेबल योजनाएं तैयार करते समय भी कचरा प्रबंधन पर जोर दे रही है इतना ही नहीं केंद्र सरकार ने सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों को एक बार होने वाले प्लास्टिक का इस्तेमाल नहीं करने की मुहिम में बढ़ चढ कि हिस्सा लेने की अपील की है  |

केंद्र सरकार महात्मा गांधी की जयंती यानी 2 अक्टूबर से सिंगल यूज प्लास्टिक के खिलाफ देशव्यापी अभियान शुरू करने की तैयारी में है |

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में देशवासियों से एक पर होने वाले प्लास्टिक का प्रयोग बंद करने का अपील की थी  | 25 अगस्त को मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐलान किया था कि 2 अक्टूबर से पूर्व देश में प्लास्टिक के खिलाफ एक नई जन आंदोलन की नींव रखी जाएगी

इंसान ने विकास की हूर में कुछ ऐसे कदमों को बढ़ावा दिया जो ना सिर्फ बल्कि पूरी धरती के लिए जानलेवा साबित हो रहा है | इनमें से एक है प्लास्टिक का उपयोग जिसके उपयोग से मनुष्य से लेकर जलवायु परिवर्तन तक गंभीर रूप से प्रभावित हो रहे हैं  | प्लास्टिक कचरा भारत समेत पूरी दुनिया के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बन चुका है हालांकि केंद्र सरकार इस कचरे की चुनौती से निपटने के लिए लगातार काम कर रही है |

सिंगल यूज प्लास्टिक क्या है

प्लास्टिक आज पूरी दुनिया के लिए एक बेहद गंभीर खतरा बन चुका है | इंसान जीव जंतु से लेकर पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन तक कोई ऐसा छेत्र नहीं है  | जो प्लास्टिक के दुष्प्रभाव को नहीं भुगत रहा है प्लास्टिक के जिस प्रकार से सबसे ज्यादा खतरा पैदा हो रहा है वह है सिंगल यूज प्लास्टिक. दरअसल प्लास्टिक के वैसे समान जिसका इस्तेमाल एक बार करने के बाद फेंक दिया जाता है | ऐसे प्लास्टिक को सिंगल यूज प्लास्टिक कहा जाता है | जिनमें प्लास्टिक के थैले ,एस्ट्रो ,पानी की बोतल ,दूध की थैली, चम्मच, गिलास, कप ,प्लेट भोजन को सुरक्षित रखने वाले ज्यादातर पैकेट कोल्ड ड्रिंक्स की बोतले बिस्किट नमकीन जैसे उत्पादों की पैकिंग शामिल है

 इनमें 40 माइक्रोमीटर यानी माइक्रोन या उससे कम अस्तर के प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता है यह सिंगल यूज प्लास्टिक इतना आसानी से नष्ट नहीं होते हैं और ना ही इसे रीसाइकिल किया जा सकता है  | सबसे बड़ी बात यह है कि हमारी रोजमर्रा के जीवन में सबसे ज्यादा प्रयोग सिंगल यूज प्लास्टिक का ही होता है |

हर साल करीब दुनिया में 300 मिलियन टन प्लास्टिक का उत्पादन होता है  | जिनमें आधे से ज्यादा कोई एक बार इस्तेमाल कर फेंक दिया जाता है | जबकि कुल उत्पादित प्लास्टिक का मात्र 10 से 13 फ़ीसदी हि रीसाइकिल हो पाता है |

 पेट्रोलियम आधारित डिस्पोजल प्लास्टिक को रीसायकल करना बहुत मुश्किल होता है क्योंकि पेट्रोलियम आधारित प्लास्टिक बायोडिग्रेडेबल नहीं है और फेंकने के बाद आमतौर पर जमीन के अंदर या पानी में चला जाता है और यहां से बहकर समुद्र में चला जाता है और यह धीरे-धीरे छोटे कनों में टूटकर जहरीले रसायनों में बदल जाता है और प्रदूषण फैलाता है यही नहीं प्लास्टिक को जलाने से हवा भी प्रदूषित होती है |

एक अनुमान के मुताबिक प्लास्टिक के जलने से उस समय अर्जित होने वाली कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा साल 2030 तक 3 गुनी हो जाएगी

सिंगल यूज प्लास्टिक को अगर जमीन के अंदर नष्ट करने की कोशिश होती है तो यह नष्ट नहीं होता बल्कि कई छोटे-छोटे टुकड़ों में बैठकर खतरनाक रसायन पैदा करता है | जो मिट्टी की उपजाऊ क्षमता को नुकसान पहुंचाता है मिट्टी के जरिए यह खतरनाक जहरीला रसायन हमारे खाद्य पदार्थों और पानी में पहुंचता है जिससे मानव शरीर को काफी नुकसान पहुंचता है | जिससे मनुष्य को रोगों से लड़ने की क्षमता प्रभावित होती है और यह कैंसर समेत कई अन्य बीमारियों का कारण भी बनता है |

प्लास्टिक

सिंगल यूज प्लास्टिक सिर्फ इंसान और पर्यावरण के लिए ही नहीं बल्कि पशुओं के लिए भी घातक है | पशु सड़कों पर बिखरे प्लास्टिक को खाकर बीमार हो जाते हैं  | कई बार इन पशुओं के पेट से किलो के हिसाब से प्लास्टिक निकलता है | वही समुंद्र में फैल रहे प्लास्टिक के कचरे से कोई समुद्री जीव और मछलियां प्रभावित हो रही है |

एक रिसर्च के मुताबिक प्लास्टिक का करीब 70 फ़ीसदी हिस्सा महासागरों में फैला हुआ है | सिंगल यूज प्लास्टिक एक गंभीर परिणामों से बचने के लिए ज्यादा लोगों को जागरूक करने की जरूरत है साथ हि प्लास्टिक के झोले की जगह जूट और कपड़े से बने झूले के इस्तेमाल को बढ़ावा देना चाहिए |

प्लास्टिक का आविष्कार

प्लास्टिक का आविष्कार 1862 में इंग्लैंड के एलेग्जेंडर पार्ककिस ने किया था  | प्लास्टिक बैग अपने वजन से 2000 गुना ज्यादा वजन उठा लेता है इसीलिए उद्योग से लेकर आम लोगों तक यह लोकप्रिय हो गया लेकिन किसी भी चीज का ज्यादा इस्तेमाल किया जाए तो नकारात्मक प्रभाव है भुगतना पड़ता है.|

भारत में प्लास्टिक पर रोक 

इस बार विश्व पर्यावरण दिवस का आयोजन भारत ने किया था जिसका थीम प्लास्टिक प्रदूषण की समाप्ति रखा गया था | प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के  कहना  है की सभी को प्रकृति में हो रहे नकारात्मक बदलाव को रोकने की जिम्मेदारी लेनी चाहिए  | लेकिन प्लास्टिक मुक्त भारत को पाना एक बहुत बड़ी चुनौती है पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा प्लास्टिक के इस्तेमाल में भारत का पांचवा स्थान है देश में हर साल तकरीबन 5600000 लाख टन कचरे का उत्पादन होता है जिसमें लगभग 9205 लाख टन प्लास्टिक को रीसाइकिल करके दोबारा उपयोग में लाया जाता है |

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 केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में हर रोज 690 टन चेन्नई में 429 टन कोलकाता में 426 टन और मुंबई में 408 टन कचरा फेंका जाता है | प्लास्टिक कचरे के पहाड़ों और समुद्र के किनारों में दबे प्लास्टिक का नजारा आपने भी देखा होगा तो अंदाजा लगाइए कि हानिकारक प्लास्टिक हमारे नदी मिट्टी समुद्र और खुद हमारे शरीर को कितना नुकसान पहुंचा रहा होगा |

प्लास्टिक थैलियां खाने से प्रतिवर्ष तकरीबन एक लाख से ज्यादा पशु पक्षी मर जाते हैं प्लास्टिक थैलों  का सबसे बड़ा दुष्प्रभाव भी यही है कि यह नॉन बायोडिग्रेडेबल है 

वैज्ञानिकों के अनुसार प्लास्टिक नष्ट होने में 500 से 1000 साल तक लग जाते हैं| दुनिया में हर साल 80 से 120 अरब डॉलर का प्लास्टिक बर्बाद होता है | जिसकी वजह से प्लास्टिक उद्योग पर रीसाइकिल कर पुनः इस्तेमाल करने में दबाव अधिक रहता है |

 आपको जानकर हैरानी होगी कि हर साल पूरी दुनिया में इतना प्लास्टिक फेंका जाता है कि इससे पूरी पृथ्वी के चार  घेरा  बन जाए | पूरी दुनिया के तेल का 8% इसके उत्पादक में खर्च हो जाता है | अब फैसला आपके हाथ में हैं कि पर्यावरण की सुरक्षा के लिए प्लास्टिक का त्याग करते हैं कि आने वाले पीढ़ी को इस नुकसान को झेलने पर मजबूर करते हैं  |



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