बर्ड फ्लू के लक्षण,कारण और बचाव के तरीके | Swine flu se kaise kare bachaw ?

 बर्ड फ्लू के लक्षण,कारण और बचाव के तरीके| Swine flu se kaise kare bachaw ?

कोरोना महामारी से निजात भी नहीं  मिली थी की अब बर्ड फ्लू डराने लगा है कई राज्य में हुई अब तक पक्षियों के मौत के पीछे बर्ड फ्लू के कारण से सरकार की चिंता बढ़ गई है पंजाब मध्य प्रदेश और झारखंड में बीमारी को लेकर अलर्ट जारी कर दिया है |सरकार इस फ्लू को रोकने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है | पक्षियों में बर्ड फ्लू की पुष्टि के बाद एक बार फिर बीमारी ने गंभीरता को नए सिरे से समझने का मौका दिया है इन परिस्थितियों में बर्ड फ्लू के बारे में जानलेना और  खुद को सुरक्षित रखने के लिए बहुत जरूरी है| यह वायरस कई तरह के होते हैं लेकिन H5 N1 पहला ऐसा इनफ्लुएंजा वायरस है जो इंसानों को संक्रमित करता है इसका पहला मामला 1997 में हांगकांग में आया था |

आज के इस आर्टिकल में जानेगे की 

  • बर्ड फ्लू के बारे में आखिर ये बीमारी है क्या ?
  • इसके लक्षण क्या है|
  • इसके कारण
  • क्यों होता है बर्ड फ्लू 
  • इसका इलाज क्या है
  •   इससे बचाव कैसे करे 
  • क्या बर्ड फ्लू के दौरान नॉनवेज( चिकन ) खा सकते हैं ?

बर्ड फ्लू के बारे में आखिर ये बीमारी है क्या ?

बर्ड फ्लू को एवियन इनफ्लुएंजा भी कहा जाता है| यह वायरल संक्रमण है जो ना सिर्फ  पक्षियों को संक्रमित करता है बल्कि इंसानों के अलावा जानवरों को भी संक्रमित करता है| एवियन इनफ्लुएंजा सबसे ज्यादा पक्षियों के लिए खतरनाक है| और संपर्क में आने वाले इंसान और जानवरों को आसानी से संक्रमित कर सकता है फिलहाल इंसान से इंसान को वायरस फैलने की पुष्टि नहीं हुई है|




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बर्ड फ्लू के लक्षण

बर्ड फ्लू होने पर 

  • कफ
  • डायरिया
  • बुखार
  • सांस से जुड़ी दिक्कत
  • सिर दर्द
  • मांसपेशियों में दर्द 
  • गले में खराश
  •  नाक बहना
  • बेचैनी जैसी समस्याएं हो सकती है
  • आंखों का लाल होना
  • उल्टी, दस्त, सीने या पेट में दर्द भी हो सकता है
  • बीमारी बढ़ जाने पर मरीज को सांस लेने में दिक्कत हो सकती है

इंफेक्शन ब्रेन में भी पहुंच सकता है जिससे मरीज को बेहोशी और मिर्गी के दौरे भी पढ़ सकते हैं और मरीज की जान भी जा सकती है|

क्या बर्ड फ्लू के दौरान नॉनवेज( चिकन ) खा सकते हैं ?

अगर आप नॉनवेज खाते हैं चिकन और अंडा खाते हैं

तो  WHO(वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन) की गाइडलाइंस के मुताबिक जब भी चिकन या अंडा घर में लाएं उसके बाद अच्छे से हाथ धोए|

उसे बनाते वक्त अच्छे से पकाएं कभी भी आधा कच्चा या बिन पक्का  ना छोड़े  पूरी तरह से पका कर और अंडे को उबाल कर ही खाएं|


यह देखा गया है की बर्ड फ्लू का वायरस अगर किसी चीज में है और उसे 30 मिनट तक 70 डिग्री तापमान पर पकाएं तो यह वायरस भी मर जाता है| 

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इसके कारण

  • इंसानों में बर्ड फ्लू बीमारी  मरे हुए या संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने से होता है
  • यह वायरस पक्षियों के नेजल सेक्रीशन (नाक से निकलने वाला तरल) मल और उसके अंडे में होता है|
  • जब कोई संक्रमित या मरे हुए पक्षी को छूता है या हैंडल करता है तो यह वायरस हाथों द्वारा हमारे शरीर में पहुंच सकता है|
  • अगर कोई बीमार पक्षी को या उसके अंडे को बिना ठीक से पकाए खाता है तो उसे भी वायरस शरीर में पहुंच सकता है|
  • बर्ड फ्लू एक इंसान से दूसरे इंसान में भी हो सकता है लेकिन यह बहुत कम होता है इसकी संभावना बहुत कम है।|




अगर आपको लगता है की आप बर्ड फ्लू की चपेट में आ गए हैं तो किसी और के संपर्क में आने से पहले डॉक्टर को जरूर दिखाएं

क्यों फैलता है बर्ड फ्लू

बर्ड फ्लू कई तरह के होते हैं| लेकिन H5 N1 पहला ऐसा इनफ्लुएंजा वायरस है जो इंसानों को संक्रमित करता है इसका पहला मामला 1997 में हांगकांग में आया था

 H5 N1   में लंबे समय तक जीवित रहने की क्षमता होती है |संक्रमित पक्षियों के मल और लार में यह वायरस 10 दिनों तक जीवित रहती है |

दूसरी तत्वों को छूने से ऐ संक्रमण फैल सकता है| 

इस से फैलने के सबसे ज्यादा खतरा मुर्गी पालन लोगों को होता है| 

इसके अलावा संक्रमित जगहों पर जाने वाले संक्रमित पक्षियों के संपर्क में आने वाले कच्चा या पक्का मांस खाने वाले या संक्रमित मरीजों का देखभाल करने वाले लोगों को बर्ड फ्लू हो सकता है

क्या है इसका इलाज

  1. बर्ड फ्लू के लक्षण आने पर मरीज को तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें|
  2. इस बीमारी को कंफर्म करने के लिए मरीज के गले और नाक से स्वाँब लिया जाता है|
  3. इस फ्लू में मरीज को एंटीवायरल दवाइयां भी दी जाती है|
  4. लक्षणों के आधार पर मरीज को ऑक्सीजन थेरेपी  IV फ्लुएड और अन्य भी दवाई दी जाती है|
  5. बीमारी बढ़ जाने पर मरीज को वेंटीलेटर पर भी रखना पड़ता है.

अलग-अलग तरह के  बर्ड फ्लू  का अलग-अलग तरह से इलाज किया जाता है लेकिन ज्यादातर मामलों में एंटीवायरल दवाओं से इलाज किया जाता है| लक्षण दिखने के 48 घंटों के भीतर ही इसकी दवाई लेनी जरूरी होती है और फ्लू से संक्रमित व्यक्ति के अलावा उसके संपर्क में आया घर के अन्य सदस्यों को भी यह दवाई ली जाने की सलाह दी जाती है| भले ही उन लोगों में  बीमारी के लक्षण ना हो|

कैसे करें बचाव

इनफ्लुएंजा से बचने के लिए डॉक्टर आपको फ्लू की वैक्सीन लगाने की सलाह दे सकते हैं|

इसके अलावा खुले बाजार में जाने और अल्फा का चिकन खाने से बचें|

हाइजीन बनाए रखें और समय-समय पर अपने हाथ साबुन से धोएं|

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