पोलियो क्या है इसके इलाज ,इतिहास ,भारत में इसकी स्थिति ,लक्षण के बारे में और भी बहुत कुछ
दुनिया में महामारी माने जाने वाली कई रोगों के निदान और उपचार खोजे गए हैं कई बीमारियां विश्व के अधिकांश भागों से खत्म भी हो चुकी है इनमें से एक पोलियो भी है|
1988 में शुरू किए गए पोलियो उन्मूलन कार्यक्रम को 32 वर्ष बीत चुके हैं विश्व भर में अरबो डॉलर खर्च करने भरसक प्रयासो के बाद पोलीयों पर काफी हद तक नियत्रण पा लिया गया हैं | कई साल के कोशिसो के परिनाम स्वरूप सन 2014 में भारत पोलियो मुक्त घोषित हुआ |
यह यात्रा काफी लंबी और सफल रहे लेकिन भारत के 2 पड़ोसी देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में इसे अभी भी खत्म किया जाना बाकी है|
पोलियो के प्रति लोगों में जागरूकता लाने के मकसद से हर साल 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है
हम पोलियो मुक्त दुनिया से चंद कदम ही दूर है 1988 में वैश्विक स्तर पर पोलियो के खिलाफ लड़ाई शुरू हुई राजनीति और आर्थिक सहयोग के बदौलत अब सिर्फ दो ही देश पाकिस्तान और अफगानिस्तान में पोलियो के मामले में बचे हैं|
आज के इस आर्टिकल में जानेगे
- पोलियो के इतिहास के बारे में
- कौन देश पोलियो से कब मुक्त हुए
- भारत में पोलियो की सुरुआत और इसके अंत के बारे में
- वैश्विक स्तर पर पोलियो की शुरुआत
- पोलियो के खिलाफ चलाई गयी अभियान
- क्या होता है पोलियो और कितने प्रकार के होते है
- इसके लक्षण के बारे में
- इसके उपचार क्या है
आइये जानते हैं पोलियो के इतिहास के बारे में
मिस्र से मिली पत्थर पर खुद ही आकृतियां 1520 पूर्व की बताई जाती है लाठी लिए इस व्यक्ति के पैर पर नजर डालिए इतिहास में पोलियो के लक्षण की यह पहली तस्वीर है|
एक तरफ लक्षणों का सबसे पहला जिक्र ब्रिटिश चिकित्सक माइकल अंडरवुड ने 1789 में किया था जिसके बाद जाका भाई ने 1840 में बीमारी के रूप में पहचाना 1890 में यह बीमारी अमेरिका और यूरोप में फैली तो स्वीडन के डॉक्टर कार ऑक्शन मेडेल ने इस बीमारी पर काम किया|
इस तरह इस बीमारी को हाई मेडेन डिजीज कहा गया बाद में यही बीमारी पोलियोमाइलाइटिस यानी पोलियो के नाम से जाने गई|
1916 में अमेरिका में 27000 से ज्यादा मामले सामने आए और 6000 मौतें हुई 1952 में अमेरिका में 57628 मामले सामने आए थे | उसी साल डॉक्टर जोनाशॉक ने पोलियो के खिलाफ पहली वैक्सीन विकसित किए| डॉक्टर जोना शॉप के सम्मान में ही 24 अक्टूबर को विश्व पोलियो दिवस मनाया जाता है|
हर साल विश्व पोलियो दिवस के लिए एक थीम होती हैं।भारत में 2020 के लिए थीम है a win against polio is a win for global health
डॉक्टर जोनाशौक के टीम द्वारा टिका तैयार किया गया था| वह वायरस मारक होते थे यह इंजेक्शन के के जरिए दिए जाने वाला टीका आईपीवी था|
1955 में जोना शौक के पीके को सुरक्षित और प्रभावी घोषित किया गया
वैश्विक स्तर पर पोलियो की शुरुआत
वैश्विक स्तर पर पोलियो की शुरुआत 1988 में की गई| 1988 में 41 वर्ल्ड हेल्थ असेंबली में पोलियो के विश्वव्यापी उन्मूलन के लिए एक संकल्प अपनाया गया |इसके साथ ही विश्व स्वास्थ्य संगठन वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल की शुरुआत हुई|
यह पहल.एक सार्वजनिक निजी साझेदारी थी|
विश्व स्वास्थ्य संगठन में रोटरी इंटरनेशनल, राष्ट्रीय, सरकारी यूनिसेफ रोग नियंत्रण और रोकथाम के लिए अमेरिकी एजेंसी और बिल एंड मिलिंडा गेट्स फाउंडेशन शामिल है|
1988 में वैश्विक पोलियो उन्मूलन पहल के शुरुआत के बाद से अब तक पोलियो के मामले में 99.9 % से ज्यादा की कमी आई है|
1988 में दुनिया में पोलियो की सबसे ज्यादा मामले सामने आए थे| उस साल 125 देशों में 350000 लोग पोलियो से संक्रमित हुए थे |
डब्ल्यू एच ओ( W H O ) विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक जब किसी देश में 4 सालों तक पोलियो का कोई नया मामला सामने नहीं आता तो उसे पोलियो मुक्त मान लिया जाता है|
कौन देश पोलियो से कब मुक्त हुए
- 1994 में अमेरिका पोलियो मुक्त घोषित हो गया
- इसके बाद सन 2000 में पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र पोलियो मुक्त घोषित कर दिया गया
- 22 जून 2002 में यूरोप के सभी देशों को पोलियो मुक्त घोषित कर दिया क्या
- 27 मार्च 2014 को दक्षिण पूर्व एशिया के इलाके पोलियो मुक्त घोषित किया गया
- क्षेत्र में इंडोनेशिया से लेकर भारत तक कुल 11 देश शामिल थे
- मार्च 2014 तक दुनिया की 80% आबादी पोलियो मुक्त हो गई
- अगस्त 2020 में अफ्रीका महाद्वीप को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पोलियो मुक्त घोषित किय
- नाइजीरिया को 25 अगस्त 2020 को पोलियो मुक्त घोषित होने के साथ पुरा अफ्रीका महादीप पोलीयो मुक्त हो गया '
दुनिया के बाकी सभी देशों को पोलियो मुक्त करने के बाद अब केवल पाकिस्तान और अफगानिस्तान ही देश बचे हैं जहां अभी पोलियो वायरस मौजूद है
पाकिस्तान में 8 महीने में पोलियो से 64 नए मामले सामने आए हैं
भारत में पोलियो की सुरुआत और इसके अंत के बारे में
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक भारत पोलियो मुक्त देश बन चुका है
देश के.बच्चों को पोलियो से होने वाले विकलांगता से मुक्ति दिलाने के लिए भारत में साल 1995 में पल्स पोलियो टीकाकरण कार्यक्रम की शुरुआत की थी तब सरकार के प्रयास और लोगों को अथक प्रयास के चलते साल 2014 आते-आते भारत पोलियो मुक्त देश बन गया|
इसके बाद पोलियो दोबारा सर ना उठा पाए इसके लिए सरकार ने इंद्रधनुष अभियान चलाया है
आइए जानते हैं भारत में पोलियो उन्मूलन अभियान के बारे में
भारत में सबसे पहले इसकी शुरुआत2 अक्टूबर 1994 को दिल्ली में कैंप लगा इसकी सुरुआत की गयी | जिसमें 4000 केंद्रों पर 1200000 बच्चे को पोलियो वैक्सीन ड्रॉप दी गई |
इसके बाद पोलियो उन्मूलन देशव्यापी आंदोलन बन गया
देशभर में पोलियो उन्मूलन के लिए साल 1995 में राष्ट्रीय स्तर पर पल्स पोलियो प्रतिरक्षण की शुरुआत की गई
इसका मकसद था ओरल पोलियो वैक्सीन के तहत 100 फ़ीसदी कवरेज हासिल किया जाए
शुरुआत में हर साल 150000 पोलियो के मामले सामने आते थे|
उस समय देशभर में करीब 23 लाख पोलियो सहायकों की टीम तैयार की गई
करीब 33000 निगरानी केंद्र बनाए गए और घर-घर जाकर 5 साल से कम उम्र के बच्चों को पोलियो की दवा पिलाने का अभियान शुरू किया गया |
शुरुआत में इस अभियान का कोई खास असर देखने को नहीं मिला लोग अपने बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने से हिचकी चाहते थे | यह अंधविश्वास भी फैला की पोलियो वैक्सीन से नपुंसकता और बांझपन हो सकती है इस वजह से एक बार फिर साल 2001 में पश्चिम उत्तर प्रदेश से व्यापक पैमाने पर जागरूकता अभियान की शुरुआत की गई लेकिन साल 2002 में पोलियो के मामले में बढ़ोतरी होने लगे साल 2004 के दौरान दुनिया भर में नाइजीरिया पाकिस्तान अफ़गानिस्तान और भारत केवल 4 देस यैसे थे जहां पोलियो के मामले सामने आ रहे थे|
स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत सरकार ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की मदद से साल 2004 में एक बार फिर बड़े स्तर पर और ज्यादा कुशलता के साथ पोलियो उन्मूलन अभियान शुरू किया गया | इस बार लक्ष्य रखा गया 8 करोड़ बच्चों को पोलियो ड्रॉप पिलाने का इस अभियान का असर राष्ट्रीय स्तर पर दर्ज किया गया इससे पोलूशन के मामलों में भारी गिरावट आई लेकिन अभी यह पूरी तरह खत्म नहीं हुआ था |
साल 2009 के दौरान भारत में पोलियो वायरस के 741 मामले दर्ज किए गए जो कि उस साल पूरी दुनिया में आए मामलों का 50 फ़ीसदी था हालांकि तब तक यह साफ हो चुका था |
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भारत आने वाले कुछ सालों में पोलियो मुक्त हो जाएगा इस अभियान के चलते अगले 2 साल भारत में पोलियो उन्मूलन की दिशा में भूतपूर्व सफलता हासिल की | इस अभियान से जुड़े 23 लाख पोलियो सहायकों को की मदद से साल 2011 के अंत तक भारत से लगभग खत्म कर दिया गया \
भारत में पोलियो का आखिरी मामला पश्चिम बंगाल में 13 जनवरी 2011 को सामने आया था उसके बाद से भारत में पोलियो का कोई भी मामला दर्ज नही कीया गया| चुकी उस साल से भारत में भारत में कोई भी मामला दर्ज नहीं किया गया इसीलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने साल 2012 में पोलियो ग्रस्त देशों की सूची से भारत को हटा दिया और इसके 2 साल बाद साल 2014 में भारत को औपचारिक तौर पर पोलियो मुक्त राष्ट्र घोषित कर दिया गया|
पोलियो टीकाकरण अभियान किसी एक बीमारी के खिलाफ चली अब तक के सबसे बड़े और लंबे अभियानों में से एक है जिसके उन्मूलन में स्वास्थ्य मंत्रालय ,विश्व स्वास्थ्य संगठन ' यूनिसेफ और रोटरी इंटरनेशनल जैसी संस्थाओं ने भूमिका निभाई|
इसके अलावा अनेक कलाकार खिलाड़ी और मशहूर हस्तियों ने भी इसका प्रचार किया इसी दौरान दो बूंद जिंदगी का नारा मुहावरे की तरह सबके जुबान ऊपर चढ़ गया |साथ ही स्थानीय स्तर पर सामाजिक संगठनों और कार्यकर्ताओं ने भी इसके उन्मूलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हालांकि सरकार ने टीकाकरण से वंचित रह गए बच्चों और मताओ के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 25 दिसंबर 2014 में सार्वभौमिक टीकाकरण के तहत मिशन इंद्रधनुष अभियान की शुरुआत की मिशन इंद्रधनुष का लक्ष्य साल 2020 तक उन बच्चों का टीकाकरण करना है जिनको टीके नहीं लगे हैं.
इस बीमारी के तहत 7 बीमारियों जिनमें
- डिप्थीरिया
- टीवी
- काली खांसी
- टिटनेस
- पोलियो
- खसरा
- हैपेटाइटिस बी को रोकने के लिए टीके लगाये जाते हैं।
आइए जानते हैं पोलियो क्या है
पोलियो को पोलियो लाइटिस भी कहा जाता है यह विषाणु यानी वायरस होने वाली एक संक्रामक बीमारी है |इसका असर तंत्रिका तंत्र पर अस्थाई एवं स्थाई तौर पर पड़ता है| ज्यादातर वायरस युक्त भोजन का सेवन करने से यह रोग होता है\ यह वायरस सांस के रास्ते भी शरीर में प्रवेश कर लोगों में फैलता है मुख्य रूप से इसका वायरस मुँह के जरिए सरीर में प्रवेश करता है |
इसके बाद यह वायरस रक्त कोशिकाओं के माध्यम से केंद्रीय स्नायु तंत्र यानी सेंट्रल नर्वस सिस्टम को आघात करता है पोलियो स्पाइनल कॉर्ड और मेडुला का बीमारी है स्पाइनल कॉर्ड मनुष्य का वह हिस्सा है जो रीड की हड्डी में होता है
पोलियो, मांस पेशियों और हड्डी की बीमारी नहीं है हालांकि इसके चलते हड्डियों का विकास रुक जाता है और पोलियो पीड़ित बच्चा अपंग हो जाता है |
व्यसको की तुलना में 5 साल से कम उम्र के बच्चों में संक्रमित होने की संभावना बेहद ज्यादा होती है बच्चों में पोलियो विषाणु के खिलाफ किसी भी प्रकार की प्रतिरोधक क्षमता नहीं होती है इसी कारण यह बच्चों में ज्यादा होता है पोलियो की वजह से ज्यादातर बच्चे विकलांगता का शिकार हो जाते हैं जिसे शिशु पक्षाघात के नाम से भी जाना जाता है |
करीब 95 फिसदी पोलियो के मामलों में लक्षण नहीं दिखाई देता
पोलियो कितने प्रकार का होता है
पोलियो के मामलों को तीन प्रकार में बांट सकते हैं
- अर्वोटिव पोलियो
- नॉन - पैरालिटिक पोलियो
- पैरालिटीक पोलियो
1 अर्वोटिव पोलियो के मामलों में हल्की बीमारी होती है जैसे
- बुखार
- थकावट
- सिर दर्द
- गले की खराश
- दस्त जैसे लक्षण दिखाई देती है
2 नॉन - पैरालिटिक पोलियो के मामले में विशेष रुप से अर्वोटिव पोलियो के लक्षण होते हैं जैसे
- न्यूरोलॉजिकल लक्षण
- रोशनी के प्रति संवेदनशीलता
- गर्दन की अकड़न भी देखी जाती है
3 पैरालिटीक पोलियो
- वायरल जैसे लक्षणों से शुरुआत
- मांस पेशी में दर्द
- आमतौर पर पक्षघात
पोलियो से ग्रसित 2% से कम लोगों को पैरालिसिस होता है पैरालिटिक पोलियो के मामलों में ज्यादातर रोगी पूरी तरह से ठीक हो जाता है|
बीमारी से बचने के उपाय क्या है
दरअसल पोलियो की रोकथाम करना हि पोलियो से लड़ने का सबसे प्रभावी तरीका है |कुछ निश्चित दवाई और उपचार पद्धति रोगी को सहायक देखभाल दी जा सकती है| ताकि मांस पेशी पर पड़ने वाले प्रभाव को कम किया जा सके जिन लोगों को शोषण में शामिल मांस पेशिया पक्षाघात का शिकार होती है |उन रोगियों को कृतिम स्वसन सहायता दी जाती है |विज्ञान अभी तक पोलियो जैसी घातक बीमारी का सटीक इलाज नहीं खोज पाया है|
लेकिन पोलियो को ड्रॉप और टिके के जरिए इसका शिकार होने से बचाया जा सकता है
पोलियो के दो प्रकार के टीके उपलब्ध है
1 इनएक्टिवेटेड पोलीयो वैक्सीन
- यह टिका इंजेक्शन के जरिये दिया जाने वाला टीका हैं
- यह बहुत सालों से पोलियो मुक्त जगह पर दिया जाने वाला टिका है
2 ओरल पोलियो वायरस वैक्सीन या मौखिक पोलियो टीका है
- इसका इस्तेमाल उन क्षेत्रों में किया जाता है| जहां पोलियो संक्रमण का खतरा अब भी बना हुआ है
जागरूकता
पोलियो से बचने के लिए लोगों के प्रति इसकी जागरूकता बेहद जरूरी है प्रत्येक बच्चे का टीकाकरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए |
नियमित टीकाकरण कार्यक्रम के तहत पोलियो वैक्सीन की खुराक जन्म पर 6ठे 10वें 14हवे सप्ताह में पिलाई जानी चाहिए |
16 से 24 महीने की आयु के बीच बूस्टर खुराक पिलाई जानी चाहिए|
बार-बार और एक साथ खुराक पिलाने से पूरे इलाके के 5 साल तक की आयु के सभी बच्चों में इस बीमारी से लड़ने की एक साथ क्षमता बढ़ती है जिससे पोलियो की खात्मा हो जाता है|
दोस्तों आसा करता हु की इस आर्टिकल में पोलियो से सम्बंधित पूरी जानकारी मिल गयी होगी अगर इसके बारे में आपके कुछ सवाल है तो निचे दिए गये बॉक्स में कमेंट करे | धन्यवाद्
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