अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के इतिहास, क्या भारत बिश्व के लिए योग गुरु बन पायेगा ?
भारतीय धर्म और दर्शन में योग का बेहद खास महत्व है आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ ही शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य के लिए योग के महत्व को सभी दर्शनों और संप्रदायों में खुले मन से स्वीकार किया गया है दरअसल योग्य एक शारीरिक मानसिक और अध्यात्मिक अभ्यास जो लोगों को शांति आत्मविश्वास और ताकत तो देता ही है इसके साथ ही इंसान को प्रकृति से भी जुड़ता है योग का मतलब ही होता है जुड़ना |
आज की भागमभाग और तनाव भरी जिंदगी में दुनियाभर में लाखों लोग हैं गंभीर बीमारियों मानसिक तनाव और डिप्रेशन के शिकार होते जा रहे हैं ऐसे में योग तन और मन को शांत रखने का सबसे बड़ा साधन है
आज के इस आर्टिकल में आप जानेगे
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब और कैसे सुरु किया गया
भारतीय दर्सन योग की उत्पति
संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस के लिए प्रस्ताव
योग दिवस के लिए 21 जून ही क्यों चुना गया
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 थीम
योगा करना क्यों जरुरी है
भारत में हर साल योग दिवस के मौके पर होने वाली योगा रिट्रीट का आयोजन कहा होता है
भारत में और कई प्राचीन संस्थान है जो योग शिक्षा के लिए दुनिया भर में ज्यादा मशहूर है
योग के जरिए रोजगार
पतंजलि का अष्टांग योग
भारतीय परंपराओं में योग दिवस के इतिहास
अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस कब और कैसे सुरु किया गया
भारत शुरू से ही योग गुरु रहा है भारत में योग की परंपरा सदियों पुरानी है और भारत दुनिया भर में हमेशा योग का प्रचार और प्रसार करता ही रहा है योग के इस प्रचार को और प्रकार को वैश्विक स्तर पर पहचान तब पुख्ता हुई जब भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पहल पर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा ने हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का ऐलान किया |
साल 2015 से हर साल 21 जून को दुनिया भर के सैकड़ों देशों में योग दिवस मनाया जाता है और इसका फायदा आज पूरा विश्व उठा रहा है |
संयुक्त राष्ट्र महासभा ने दिसंबर 2014 में एक ऐतिहासिक प्रस्ताव के जरिए 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस घोषित किया | इसके लिए कोशिशें तो काफी पहले से ही चली आ रही थी आखिर प्रधानमंत्री ने सितंबर 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा में अपने भाषण में योग पर काफी जोर दिया इसके बाद संयुक्त राष्ट्र ने इसे अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस घोषित कर दिया |
योग भारतीय संस्कृति की बहुत बड़ी पहचान है हाल ही के वर्षों में दुनिया भर में योग्य की लोकप्रियता बड़ी है | योग का जन्म भारत में ही हुआ यही वजह है कि भारत ने योग को अंतरराष्ट्रीय मान्यता दिलाने और योग दिवस मनाने के लिए विशेष पहल की दुनिया के कई देशों में योग पहुंचाने में भारत के आध्यात्मिक और योग गुरु अहम भूमिका रही है |
लहजा दुनियाभर के नजरों में भारत की छवि हमेशा से योग गुरु की रही है आजादी के आंदोलन के दौरान महर्षि गोविंद और स्वामी विवेकानंद ने पीरा से जूझते संसार को अध्यात्म और युग के मंत्र के साथ विश्व शांति का संदेश दिया |
आजादी के बाद देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू से लेकर बाद के सभी प्रधानमंत्रियों ने योग के बढ़ावा देने के लिए व्यापक नीतियों और कार्यक्रमों पर जोर दिया हालांकि अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के घोषणा के पीछे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पहल का बड़ा योगदान है |
संयुक्त राष्ट्र में योग दिवस के लिए प्रस्ताव
11 दिसंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र में अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के प्रस्ताव को मंजूरी दी | संयुक्त राष्ट्र महासभा के 193 देशों में से 175 देश इस प्रस्ताव के सह प्रयोजक बने |इसमें चीन, कनाडा और अमेरिका जैसे देश भी शामिल थे |
संयुक्त राष्ट्र की महासभा में किसी भी प्रस्ताव को इतनी बड़ी संख्या में मिला समर्थन अपने आप में एक रिकॉर्ड बन गया पूरी दुनिया में बढ़ती लोकप्रियता को देखकर संयुक्त राष्ट्र में 90 दिनों के भीतर पूर्ण बहुमत से अंतरराष्ट्रीय योग दिवस प्रस्ताव पारित हुआ जो ऐतिहासिक है |
योग दिवस के लिए 21 जून ही क्यों चुना गया
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के लिए 21 जून का चुनाव इस वजह से किया गया क्योंकि 21 जून उत्तरी गोलार्ध का सबसे लंबा दिन है | भारतीय मान्यताओं के मुताबिक इसे ग्रीष्म संक्रांति के नाम से जाना जाता ह आम दिनों के मुकाबले 21 जून को सूरज की किरने ज्यादा देरी तक रहती है जिसे कारण दिन बड़ा होता है योग में इस घटना को संक्रमण काल कहते हैं संक्रमण काल में योग करने से शरीर को ज्यादा फायदा मिलता है |
2015 में मानव संसाधन विकास मंत्रालय नेncert के पाठ्यक्रमों में योग को शामिल किया |केंद्रीय विश्वविद्यालयों में योग विभाग खोलने की घोषणा की गई
भारत की संस्कृति अधिक खूबियों की खान है तो योग इसकी सबसे बड़ी और सशक्त पहचान है सरहदों के दायरे को छोड़कर पूरी दुनिया में आज योग का परचम लहरा रहा है | योग के जरिए भारत की गौरवशाली संस्कृति और सभ्यता को एक नया आयाम मिल रहा है | दुनिया भर की तमाम देशों की भागीदारी से यह साफ है कि भविष्य में योग का वैश्विक समरसता और शांति का महत्वपूर्ण माध्यम बन सकता है
अंतरराष्ट्रीय योग दिवस 2020 थीम
पहली बार 21 जून 2015 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया
साल | थीम |
2020 | : घर में रहते हुए अपने परिवार के साथ योग करना |
2019 | पर्यावरण के लिए योग
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2018 | शांति के लिए योग |
2017 | स्वास्थ्य के लिए योग |
2016 | युवाओं की अधिक से अधिक सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करना |
2015 | सद्भभाव और शांति के लिए योग |
योगा करना क्यों जरुरी है
दुनिया भर में लोग एक जैसी समस्याओं से जूझ रहे हैं मोटापा, डिप्रेशन, ब्लड प्रेशर ,दर्द ,डायबिटीज माइग्रेन और दिल की बीमारियां
अब बीमारिया उम्र की मोहताज नहीं है दुनिया भर में युवा और बच्चे भी इस बीमारियों से जूझ रहे हैं इसकी वजह है हमारी जीवनशैली और खानपान की तरीकों में बड़ा बदलाव दरअसल संचार और सूचना तकनीक ने हमारे काम करने के तौर-तरीके बदल दिए हैं इन सब का असर लोगों के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ रहा है ऐसी स्थिति में संजीवनी बूटी के तौर पर एक ही दवा है जिसे भारत में पूरे दुनिया को बताया |
योग के फायदे को देखते हुए विदेशों से लोग सदियों से भारत आते रहे हैं विदेशों में योग का प्रचार प्रसार बहुत पहले से होता आया है | लेकिन आधुनिक युग में विदेश में इसकी महत्ता और इससे जुड़ा पहले से अधिक हुआ है |
योग के जरिए रोजगार का बढ़ावा
भारत सरकार योग के प्रचार प्रसार में बड़े पैमाने पर नीतियां बना रही है ताकि योग के जरिए रोजगार भी हासिल हो |
53 फ़ीसदी भारतीय कॉर्पोरेट कर्मचारी जिम की जगह युग को प्राथमिकता देते हैं
भारत में बढ़ते मांग की वजह से 35 फ़ीसदी अधिक योग प्रशिक्षकों की जरूरत पड़ेगी
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वही दुनिया में भी योग उद्योग के रूप में स्थापित हो चुका है
दुनिया के जीडीपी और रोजगार में योग का 9 से 10 फ़ीसदी योगदान है
भारत में हर साल योग दिवस के मौके पर होने वाली योगा रिट्रीट का आयोजन कहा होता है
ऋषिकेश में गंगा के किनारे
केरल के वरकला में समुद्र के किनारे
मनाली में बर्फ के सफेदी के बीच
कर्नाटक के मैसूर में हर साल योगा रिट्रीट का आयोजन किया जाता है
भारत में और कई प्राचीन संस्थान है जो योग शिक्षा के लिए दुनिया भर में ज्यादा मशहूर है
बिहार में मुंगेर का बिहार योग विद्यालय
ऋषिकेश में परमार्थ निकेतन आश्रम
कर्नाटक में मैसूर का अस्थाना योग संस्था
बेंगलुरु में स्थित आर्ट ऑफ लिविंग काफी प्रतिष्ठित योग शिक्षा केंद्र है
पतंजलि का अष्टांग योग
प्राचीन भारतीय दर्शन में साख्य और योग को भी बातौर दर्शन उल्लेखित किया गया है योग दर्शन के जरिए हैं योग की अविरल धारा पूरे विश्व में प्रवाहित हुई |योग दर्शन वैदिक दर्शन शास्त्र के 6 चिकित्सा पद्धतियों में से एक है
युग के प्रवर्तक पतंजलि ने योग सूत्र में विस्तार से अष्टांग योग के बारे में जानकारी दी है पतंजलि ने ही सबसे पहले योग की परिभाषा भी दी उन्होंने चित्त वृत्तियों के निरोध को योग बताया और इसे हासिल करने के लिए अष्टांग योग का सिद्धांत दिया |
योग का प्रकार
१ यम - इसके पांच नियम सामाजिक नैतिकताओं पर आधारित है
1 अहिंसा - यानी मन कर्म वचन से किसी को नुकसान ना पहुंचाना
2 सत्या- विचारों में सत्यता
3 अस्तेय- चोरी की प्रवृति न होना
4 ब्रह्मचर्य - चेतना को ब्रह्म ज्ञान में स्थित करना और इंद्रिय जत्तिय सुखों में संयम बरतना
5 अपरिग्रह- अपनी जरूरत से ज्यादा धन संचय नहीं करना
२ नियम इसके तहत 5 नैतिकताए निर्धारित की गई है
इसमें शौच शरीर मन बाहरी और आंतरिक शुद्धि है।
३ आसन जो युग का सबसे प्रमुख घटक बताया गया है
४ प्राणायाम जो कि नारी शोधन के लिए सांसो पर नियंत्रण से जुड़ा है
५ प्रयाहार जिसमें इंद्रियों को सामाजिक विषय से हटाकर खुद में लीन होना होता है
६ धारणा जिसमें चित्त को एक स्थान पर केंद्रित करना
७ ध्यान र् ध्येय बस्तु का ध्यान करते हुए चित्त को एकाग्र
करना
९ समाधि आत्मा से पूर्ण रूप से जुड़ जाना
भारतीय परंपराओं में योग दिवस के इतिहास
भारतीय परंपराओं के मुताबिक भगवान शिव से ही योग का प्रारम्भ माना जाता है | इसीलिए उन्हें आदि योगी भी कहा जाता है | हालांकि 2580 इसा पुर्व से 1750 इसा पुर्व के दौरान सिंधु घाटी सभ्यता में योगाभ्यास का प्रमाणिक चित्रण मिलता है | सिंधु सभ्यता के मोहरों पर योगाभ्यास का चित्र अंकित है | कई मूर्तियां भी मिली है वैदिक काल में योग और यज्ञ का महत्वपूर्ण स्थान था |
वेदों के मुताबिक ब्रह्मचर्य आश्रम में वेदों के साथ ही शास्त्र और योग की शिक्षा भी दी जाती थी माना जाता है | सूर्य नमस्कार का शुरुआत वैदिक काल में हुई उपनिषदों में भी योग के पर्याप्त परिणाम मिलते हैं जैन और बौद्ध काल में योग पर ज्यादा जोर दिए जाने लगा हालांकि इस वक्त तक युग को सुव्यवस्थित रूप नहीं दिया जा सका था |
उसके बाद पतंजलि ने 200 ईसा पूर्व मैं वेदों में बिखरे योग विद्या का वर्गीकरण कर योगसूत्र नामक पुस्तक लिखी पतंजलि के बाद योग का प्रचलन बढ़ा योगिक संस्थानों पीटो और आश्रम बनने लगे जिसमें राज योग की शिक्षा दी जाने लगी |
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